मुख्यमंत्री धामी की संवेदनशीलता और केंद्र-राज्य समन्वय का उदाहरण
उत्तराखण्ड, अपनी भौगोलिक संरचना और प्राकृतिक स्थितियों के कारण, आपदा की दृष्टि से देश के सबसे संवेदनशील राज्यों में गिना जाता है। हर वर्ष मानसून के दौरान अतिवृष्टि, भूस्खलन, बादल फटना और बाढ़ जैसी घटनाएँ यहाँ के जनजीवन को गहरे स्तर पर प्रभावित करती हैं। ऐसे समय में सरकार की तत्परता और राहत व्यवस्था ही नागरिकों के विश्वास को कायम रखती है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को भारत सरकार की अंतर-मंत्रालयी टीम से मुलाकात कर न केवल राज्य में हुए नुकसान का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया, बल्कि आपदा प्रबंधन के दीर्घकालिक समाधान की दिशा में ठोस सुझाव भी दिए। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर मिलकर पूर्वानुमान प्रणाली को और अधिक विकसित करने पर बल दिया, ताकि भविष्य में जनहानि और संपत्ति का नुकसान कम किया जा सके।
राहत कार्यों की सराहना
केंद्रीय टीम, जिसने उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, बागेश्वर, पौड़ी गढ़वाल और नैनीताल जिलों का दौरा किया, ने राज्य सरकार की व्यवस्थाओं को सराहनीय बताया। राहत शिविरों में भोजन और आश्रय की व्यवस्था, मौके पर चिकित्सा सुविधाएँ और प्रभावित परिवारों को त्वरित मदद उत्तराखण्ड सरकार की संवेदनशीलता और तत्परता का प्रमाण है। मृतकों के परिजनों और पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त मकानों के मालिकों को पाँच लाख रुपये की तात्कालिक सहायता राशि देना पीड़ित परिवारों के लिए बड़ी राहत साबित हुआ है।
संवेदनशील पहल
केंद्रीय टीम ने गर्भवती महिलाओं का संपूर्ण डेटा तैयार कर उनकी स्वास्थ्य देखभाल और सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित करने की पहल को बेहद महत्त्वपूर्ण और अनुकरणीय बताया। यह कदम आपदा प्रबंधन के साथ-साथ सामाजिक सरोकार का भी प्रतीक है, जिसकी अनुशंसा अन्य राज्यों में लागू करने के लिए भी की जाएगी।
आगे की राह
मुख्यमंत्री धामी ने यह भी रेखांकित किया कि पर्वतीय क्षेत्रों में जहाँ जमीन स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो जाती है, वहाँ वैकल्पिक योजनाओं पर गंभीरता से कार्य करना होगा। साथ ही नदियों में बढ़ते सिल्ट और जलस्तर की चुनौती पर भी राज्य और केंद्र के बीच संयुक्त रणनीति की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
उत्तराखण्ड में आपदा प्रबंधन केवल राहत तक सीमित नहीं, बल्कि पुनर्निर्माण और भविष्य की तैयारी का भी हिस्सा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की नेतृत्व क्षमता और केंद्र सरकार का सहयोग यह दर्शाता है कि आपदाओं से जूझते हुए भी राज्य मजबूती से खड़ा है। यह न केवल सरकार की कार्यकुशलता का उदाहरण है, बल्कि जनता के प्रति उसकी गहरी प्रतिबद्धता का भी प्रमाण है।