देहरादून, 30 मई 2025: मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को देहरादून के एक होटल में उत्तराखंड राज्य आपदा प्राधिकरण द्वारा आयोजित कार्यशाला “DAVDEVAD-2025: Disaster Risk Reduction & Resilience” में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने “आपदा सखी योजना” शुरू करने की घोषणा की, जो राज्य में महिला सशक्तिकरण के साथ आपदा प्रबंधन को और सशक्त बनाने की दिशा में एक नया कदम है।
🔹 “आपदा सखी योजना”: महिलाएं बनेंगी आपदा योद्धा
मुख्यमंत्री ने बताया कि इस योजना के अंतर्गत महिला स्वयंसेवकों को आपदा पूर्व चेतावनी, प्राथमिक चिकित्सा, राहत एवं बचाव कार्यों, तथा मनोवैज्ञानिक सहायता जैसी अहम क्षमताओं का प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह योजना “आपदा मित्र योजना” की तर्ज पर लागू होगी और ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की भूमिका को और अधिक प्रभावशाली बनाएगी।
🔹 उत्तराखंड की आपदा संवेदनशीलता और रणनीतिक दृष्टिकोण
मुख्यमंत्री ने कहा, “उत्तराखंड भौगोलिक दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील राज्य है, जहाँ भूकंप, भूस्खलन, बाढ़, और बादल फटने जैसी प्राकृतिक आपदाओं का खतरा लगातार बना रहता है।” उन्होंने आगे कहा कि:
- प्राकृतिक आपदाएं टाली नहीं जा सकतीं, लेकिन सतर्कता, समन्वित प्रयास, और त्वरित प्रतिक्रिया से जनधन की हानि को कम किया जा सकता है।
- सभी विभागों के साथ-साथ जनभागीदारी को भी आपदा प्रबंधन का अहम हिस्सा बनाना होगा।
- स्थानीय नागरिक, स्वयंसेवी संगठन, महिला और युवा समूह, रेडक्रॉस जैसी संस्थाएं प्रथम प्रतिक्रिया दल के रूप में बेहद महत्वपूर्ण हैं।
🔹 प्रोएक्टिव अप्रोच से जानें बचाई गईं: गौरीकुंड और तोली उदाहरण
मुख्यमंत्री ने उदाहरण देते हुए बताया कि:
- गौरीकुंड में 2024 की बादल फटने की घटना में प्रोएक्टिव रुख अपनाकर हजारों लोगों की जान बचाई गई।
- तोली गांव, टिहरी में भूस्खलन से पहले की गई प्रशासनिक तैयारी से 200 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला गया।
🔹 तकनीक और समन्वय से होगा नुकसान कम
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ड्रोन सर्विलांस, GIS मैपिंग, सैटेलाइट मॉनिटरिंग, और रैपिड रिस्पॉन्स टीम जैसे आधुनिक उपायों पर जोर दे रही है। उन्होंने निर्देश दिए कि:
- संवेदनशील क्षेत्रों में जेसीबी, क्रेन और बचाव उपकरण पहले से उपलब्ध हों।
- पुराने पुलों की तकनीकी जांच कर जरूरत के अनुसार बेली ब्रिज का स्टॉक तैयार किया जाए।
- नदी किनारे बसे क्षेत्रों में जलस्तर की रीयल टाइम निगरानी के लिए तकनीकी यंत्र लगाए जाएं।
- खाद्यान्न, दवाइयों, पेयजल, ईंधन की पहले से पर्याप्त व्यवस्था जिलों में सुनिश्चित हो।
🔹 एन.डी.एम.ए और मौसम विभाग का समर्थन
- एनडीएमए सदस्य श्री राजेंद्र सिंह ने बताया कि मौसम विभाग ने मानसून में सामान्य से अधिक बारिश का पूर्वानुमान दिया है।
- आपदा की दृष्टि से 15 जून से सितंबर तक का समय अत्यंत महत्वपूर्ण होगा।
- एनडीएमए ने उत्तराखंड को 140 करोड़ (भूस्खलन), 40 करोड़ (संवेदनशील झीलें), और 16 करोड़ (वनाग्नि रोकथाम) के लिए अनुदान स्वीकृत किया है।
- भूकंप जैसे खतरों के लिए भी राज्य को आवश्यक धनराशि दी जाएगी।
🔹 मुख्यमंत्री का जमीनी नेतृत्व
राज्य में आए हालिया आपदाओं जैसे सिल्क्यारा टनल रेस्क्यू ऑपरेशन, रुद्रपुर बाढ़, और घनसाली आपदा के दौरान मुख्यमंत्री स्वयं ग्राउंड जीरो पर पहुंचे और प्रभावितों से संवाद किया।
🔹 वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति और कार्यशाला की प्रमुख विषयवस्तु
इस कार्यशाला में शामिल विषय:
- मौसम एवं बाढ़ पूर्वानुमान
- ईडब्ल्यूएस निगरानी प्रणाली
- भूस्खलन चेतावनी प्रणाली
- मानसून से संबंधित बीमारियों की रोकथाम
- आपदा के बेस्ट प्रैक्टिसेज
इस अवसर पर प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, सचिव शैलेश बगौली, प्रमुख वन संरक्षक धनंजय मोहन, आपदा सचिव विनोद कुमार सुमन समेत कई विभागीय अधिकारी एवं विशेषज्ञ उपस्थित रहे।