उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने स्वच्छ उत्सव 2025 का शुभारंभ करके न केवल एक कार्यक्रम की शुरुआत की है, बल्कि समाज को स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण की नई प्रेरणा भी दी है। महज़ झाड़ू उठाना या पौधारोपण करना प्रतीकात्मक कार्य नहीं हैं, बल्कि यह संदेश है कि स्वच्छता सरकार की योजना भर नहीं, बल्कि नागरिकता की जिम्मेदारी और जीवनशैली का हिस्सा होनी चाहिए।
मोदी से प्रेरित धामी का संकल्प
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जन्मदिवस की शुभकामनाएँ दीं और कहा कि स्वच्छ भारत अभियान ने देश की सोच को बदल दिया है। वास्तव में यह सच है कि 2014 से शुरू हुई इस मुहिम ने स्वच्छता को केवल सरकारी योजना नहीं रहने दिया, बल्कि इसे हर नागरिक के आत्मसम्मान और जिम्मेदारी से जोड़ दिया। धामी सरकार का स्वच्छ उत्सव 2025 उसी प्रेरणा का विस्तार है।
संस्कृति में स्वच्छता का स्थान
भारत की परंपरा में स्वच्छता सदैव आध्यात्मिकता और स्वास्थ्य से जुड़ी रही है। स्वच्छता ही सेवा का भाव गांधीजी से लेकर आधुनिक नेतृत्व तक लगातार गूँजता रहा है। जब मुख्यमंत्री धामी कहते हैं कि “स्वच्छता केवल सरकारी अभियान नहीं, बल्कि हमारे संस्कार और जीवनशैली का हिस्सा है”, तो यह स्मरण कराता है कि यदि नागरिक अपनी गली, मोहल्ले, गाँव और शहर को साफ रखने का जिम्मा स्वयं उठाएँ, तो सरकार का प्रयास कई गुना अधिक प्रभावी हो जाएगा।
उपलब्धियाँ और चुनौतियाँ
देहरादून नगर निगम का राष्ट्रीय स्तर पर 19वाँ स्थान पाना और स्वच्छता रैंकिंग में 62वें स्थान तक पहुँचना निस्संदेह उपलब्धि है। लेकिन यह यात्रा अभी लंबी है। छह लाख से अधिक शौचालय रहित परिवारों के लिए शौचालय निर्माण, कचरा प्रबंधन, कंट्रोल रूम और सीसीटीवी निगरानी जैसी पहलें इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। ज़रूरत इस बात की है कि इन प्रयासों को केवल शहरी क्षेत्रों तक सीमित न रखकर पूरे राज्य में समान रूप से लागू किया जाए।
हरित भविष्य की ओर
धामी सरकार का “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान केवल पौधारोपण नहीं है, बल्कि यह प्रकृति और मातृत्व दोनों के प्रति कृतज्ञता का भाव है। यह पीढ़ियों को संदेश देता है कि स्वच्छ हवा और सुरक्षित पर्यावरण कोई विलासिता नहीं, बल्कि बुनियादी अधिकार और जिम्मेदारी दोनों हैं।
निष्कर्ष
स्वच्छ उत्सव 2025 उत्तराखंड के लिए केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि आने वाले समय का मार्गदर्शक है। यह अभियान हमें याद दिलाता है कि स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण से ही स्वस्थ और समृद्ध समाज का निर्माण संभव है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का यह आह्वान सही मायनों में उत्तराखंड को न केवल स्वच्छ राज्य बनाने की ओर कदम है, बल्कि एक ऐसी संस्कृति रचने की कोशिश है जहाँ स्वच्छता को हम अपने दैनिक जीवन का स्वाभाविक हिस्सा बना लें।