Tuesday, July 1, 2025

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स्वास्थ्य संस्थाओं में आयोजित हुए आयोडीन अल्पता पर जागरूकता कार्यक्रम

गर्भस्थ शिशु के मानसिक विकास के लिए आयोडीन बेहद जरूरी

भोपाल: 22 अक्टूबर 2024: वैश्विक आयोडीन अल्पता विकार निवारण दिवस के तारतम्य में स्वास्थ संस्थाओं में जागरूकता गतिविधियों का आयोजन किया गया। जिसमें आयोडीन के उपयोग को बढ़ावा देने एवं उससे होने वाले लाभ के बारे में जानकारी दी गई। इस साल यह दिन स्ट्रेंथनिंग पब्लिक हेल्थ थ्रू अवेयरनेस एंड एक्शन की थीम पर मनाया जा रहा है। इस अवसर पर आयोडीन के शरीर में होने वाले लाभों के संबंध में परामर्श सत्रों का आयोजन किया गया। इसके साथ ही आयोडीन नमक के ही उपयोग किए जाने के लिए शपथ एवं हस्ताक्षर कार्यक्रम आयोजित किए गए। खाद्य एवं औषधि प्रशासन की टीम द्वारा विभिन्न स्थानों से आयोडीन जांच के लिए सैंपल लिए गए।

स्वास्थ्य संस्थाओं में एएनसी महिलाओं को आयोडीन से गर्भस्थ शिशु को होने वाले लाभों की विस्तार से जानकारी दी गई। जिसमें बताया गया कि मानव मस्तिष्क का 90% विकास गर्भावस्था के तीसरे माह से बच्चों के जन्म के 3 वर्ष बाद तक होता है इसलिए यह आवश्यक है गर्भवती महिलाएं आयोडीन युक्त नमक का ही सेवन करें।

आयोडीन की कमी के कारण घेंघा रोग, मानसिक विकास में कमी, गर्भपात, थकान का अधिक होना, पढ़ाई में बिछड़ना, बच्चों में सुनने और बोलने की शक्ति में कमी, निगलने अथवा सांस लेने में कठिनाई होना, ठंड अधिक लगना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। आयोडीन युक्त नमक का उपयोग करके इन समस्याओं से बचाव हो सकता है ।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भोपाल डॉ. प्रभाकर तिवारी ने कहा कि आयोडीन एक सूक्ष्म पोषक तत्व है जो थायरोक्सिन हार्मोन का आवश्यक घटक है। यह शरीर के तापमान को नियंत्रित करने, मस्तिष्क के कार्य, वृद्धि एवं प्रजनन के लिए आवश्यक होता है। मिट्टी में आयोडीन की कमी, स्थानीय उगाई जाने वाले भोज्य पदार्थों में आयोडीन की कमी, पानी के स्रोतों में आयोडीन की कमी होने से आयोडीन अल्पता हो सकती है।

  • विजय/अरुण शर्मा

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