भोपाल, जनवरी 19, 2025: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सिंहस्थ महाकुंभ-2028 को उज्जैन के लिए एक अद्वितीय अवसर बताते हुए कहा है कि इस आयोजन से न केवल धार्मिक नगरी उज्जैन की पहचान मजबूत होगी, बल्कि यह वैश्विक धार्मिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र बन जाएगा। सिंहस्थ महाकुंभ, जो परंपरा और प्रबंधन का अनुपम उदाहरण है, समाज को नई दिशा और संदेश देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
सिंहस्थ-2028 की तैयारियां: एक दीर्घकालिक दृष्टिकोण
राज्य सरकार ने सिंहस्थ महाकुंभ की तैयारियों की शुरुआत करते हुए इसे श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए अद्वितीय अनुभव बनाने का लक्ष्य रखा है। मुख्यमंत्री ने क्षिप्रा नदी को निर्मल और सतत जल प्रवाहयुक्त बनाने के लिए विशेष परियोजनाओं का शुभारंभ किया है।
- परियोजनाएं:
- क्षिप्रा नदी पुनर्जीवन: सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी, कान्ह क्लोज डक्ट, और हरियाखेड़ी परियोजनाएं शुरू की गई हैं। 18 बैराज और स्टॉप डेम के निर्माण से क्षिप्रा में सालभर स्वच्छ जल उपलब्ध रहेगा।
- इंफ्रास्ट्रक्चर: 5955 करोड़ रुपये की 19 परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं, जो सड़क, जल आपूर्ति, सीवेज, बिजली, और पार्क निर्माण पर केंद्रित हैं।
- धार्मिक सुविधाएं: अखाड़ों और आश्रमों के लिए स्थायी सुविधाओं का विकास होगा।
परिवहन और यातायात: कुशल प्रबंधन की योजना
सिंहस्थ-2028 के दौरान लाखों श्रद्धालुओं के आगमन को सुगम बनाने के लिए परिवहन व्यवस्था को विशेष प्राथमिकता दी गई है।
- रेलवे समन्वय: रेलवे अधिकारियों के साथ सतत संपर्क हेतु विशेष सेल का गठन।
- सड़क परियोजनाएं: उज्जैन और इंदौर को जोड़ने के लिए 2312 करोड़ रुपये की सड़क उन्नयन परियोजना।
- ड्रोन और एआई तकनीक: यातायात और भीड़ प्रबंधन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ड्रोन तकनीक का उपयोग किया जाएगा।
धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की रणनीति
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सिंहस्थ केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह उज्जैन को विश्व मानचित्र पर धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन का मुख्य केंद्र बनाने का अवसर है।
- प्रयागराज कुंभ का अनुभव: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज और हरिद्वार कुंभ की व्यवस्थाओं में शामिल स्टार्टअप्स और कंपनियों को उज्जैन में बुलाकर सम्मेलन आयोजित किया जाएगा।
- मूलभूत सुविधाओं का विस्तार: धर्मशालाओं का उन्नयन, स्वच्छता, और हरियाली को बढ़ावा देने के प्रयास।
पारिस्थितिकीय संतुलन और स्थायित्व पर जोर
राज्य सरकार का उद्देश्य केवल सिंहस्थ के दौरान नहीं, बल्कि लंबे समय तक उज्जैन में पर्यावरण और जल स्रोतों की स्थिरता बनाए रखना है।
- स्थायी समाधान: लैंड-पूलिंग योजना के माध्यम से विकास कार्य।
- क्षिप्रा नदी का संरक्षण: इसे सदा के लिए स्वच्छ और सदानीरा बनाए रखने के संकल्प।
वैश्विक दृष्टिकोण से सीख
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कुंभ मेले को परंपराओं और प्रबंधन का अनुपम उदाहरण बताते हुए इसे वैश्विक स्तर पर केस स्टडी के रूप में अपनाने की बात कही है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए कहा कि सिंहस्थ-2028 का प्रबंधन भारतीय सांस्कृतिक परंपराओं के साथ-साथ आधुनिक प्रौद्योगिकी का समावेश करेगा।
निष्कर्ष
सिंहस्थ-2028 की तैयारियां केवल एक धार्मिक आयोजन के लिए नहीं, बल्कि उज्जैन के दीर्घकालिक विकास के लिए की जा रही हैं। यह आयोजन भारत के सांस्कृतिक गौरव को पुनर्स्थापित करने और उज्जैन को वैश्विक धार्मिक पर्यटन स्थल बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।