उत्तराखंड में विकास योजनाओं को गति देने के लिए मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में सचिवालय, देहरादून में राज्य स्तरीय दिशा समिति की पहली बैठक आयोजित की गई। इस बैठक को महज औपचारिक समीक्षा न मानकर, इसे एक दूरदर्शी पहल कहा जा सकता है, जहाँ सरकार ने स्पष्ट संकेत दिया कि विकास की गति और गुणवत्ता दोनों पर कोई समझौता स्वीकार्य नहीं होगा।
बैठक में कृषि, ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, महिला सशक्तिकरण और डिजिटल प्रौद्योगिकी से जुड़े मुद्दों पर गहन चर्चा की गई। मुख्यमंत्री ने यह स्पष्ट किया कि योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता और जवाबदेही सर्वोपरि है। विभागीय समन्वय और आधुनिक तकनीक का उपयोग कर योजनाओं की निगरानी से जनता तक सुविधाएँ और तेजी से पहुँचाई जा सकती हैं।
विशेष रूप से कृषि और ऊर्जा क्षेत्र पर हुई चर्चा राज्य की प्राथमिकताओं को दर्शाती है। प्रधानमंत्री कुसुम योजना के अंतर्गत सौर पंपों की स्थापना किसानों को सस्ती और दीर्घकालिक सिंचाई सुविधा प्रदान करेगी। साथ ही यह ऊर्जा आत्मनिर्भरता और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी ठोस कदम साबित होगा। वहीं प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत शेष गाँवों तक सड़कों की सुविधा पहुँचाने का संकल्प यह दिखाता है कि सरकार बुनियादी ढाँचे को विकास की आधारशिला मानती है।
बैठक में स्वास्थ्य और शिक्षा को भी समान रूप से महत्व दिया गया। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार राज्य की सामाजिक उन्नति का मूल है। इसके साथ ही युवाओं और महिलाओं के लिए कौशल विकास, उद्यमिता और स्वरोजगार योजनाओं पर बल देकर मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि आर्थिक आत्मनिर्भरता ही वास्तविक सशक्तिकरण का मार्ग है।
इस बैठक का सबसे महत्वपूर्ण संदेश यह था कि योजनाओं की सफलता केवल शासन या प्रशासन तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। इसमें जनप्रतिनिधियों और आम जनता की सक्रिय भागीदारी भी अनिवार्य है। जनता की सुविधा और सुख-सुविधा को सर्वोच्च प्राथमिकता मानते हुए मुख्यमंत्री धामी ने विभागों से अपेक्षा की कि वे जिम्मेदारी और प्रतिबद्धता के साथ कार्य करें।
स्पष्ट है कि यह बैठक उत्तराखंड के विकास रोडमैप की दिशा तय करने वाला एक निर्णायक क्षण थी। यदि इन संकल्पों को जमीनी हकीकत में बदलने में सफलता मिलती है तो आने वाले वर्षों में उत्तराखंड निश्चित ही देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो सकता है।